Saturday, March 18, 2006

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 1

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दनुते
गिरिवर विन्ध्य शिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हेशितिकण्ठकुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरि क.र्ते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

This page is powered by Blogger. Isn't yours?