Tuesday, April 04, 2006

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 10

अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर कान्तियुते
श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनीकर वक्त्रव.र्ते ।
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 9

जय जय जप्य जयेजय शब्द परस्तुति तत्पर विश्वनुते
भण भण भि~न्जिमि भिणक.र्त नूपुर सि~न्जित मोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटीनट नायक नाटित नाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

This page is powered by Blogger. Isn't yours?