Thursday, March 30, 2006
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 6
अयि शरणागत वैरि वधूवर वीर वराभय दायकरे
त्रिभुवन मस्तक शूल विरोधि शिरोधि क.र्तामल शूलकरे ।
दुमिदुमि तामर दुन्दुभिनाद महो मुखरीक.र्त तिग्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
त्रिभुवन मस्तक शूल विरोधि शिरोधि क.र्तामल शूलकरे ।
दुमिदुमि तामर दुन्दुभिनाद महो मुखरीक.र्त तिग्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥