Tuesday, April 04, 2006

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 10

अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर कान्तियुते
श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनीकर वक्त्रव.र्ते ।
सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

Comments: Post a Comment



<< Home

This page is powered by Blogger. Isn't yours?