Monday, April 10, 2006

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 12

अविरल गण्ड गलन्मद मेदुर मत्त मतणगज राजपते
त्रिभुवन भूषण भूत कलानिधि रूप पयोनिधि राजसुते ।
अयि सुद तीजन लालसमानस मोहन मन्मथ राजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

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