Friday, April 14, 2006

 

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम # 13

कमल दलामल कोमल कान्ति कलाकलितामल भाललते
सकल विलास कलानिलयक्रम केलि चलत्कल हंस कुले ।
अलिकुल सणकुल कुवलय मण्डल मौलिमिलद्भकुलालि कुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

Comments: Post a Comment



<< Home

This page is powered by Blogger. Isn't yours?